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‘स्ट्रीट प्ले एक शानदार प्लैटफॉर्म बनकर उभरा है।’
टीव्ही, बड़े परदे की तरह सशक्त माध्यम ना ही सही, लेकिन कुछ कलाकारों को अपना हुनर दिखाने, कुछ लोगों तक पहुचाने का मौका मिलता है, और कुछ बातें जन मानस के दिलों दिमाग तक’स्ट्रीट प्ले एक शानदार प्लैटफॉर्म बनकर उभरा है।’
टीव्ही, बड़े परदे की तरह सशक्त माध्यम ना ही सही, लेकिन कुछ कलाकारों को अपना हुनर दिखाने, कुछ लोगों तक पहुचाने का मौका मिलता है, और कुछ बातें जन मानस के दिलों दिमाग तक तो पहुँच ही जाती है।
बूंद बूंद से सागर भरता है।
इंडिया हैबिटैट सेंटर के एम्फी थिएटर के सामने, किसी बड़े शो के आरंभ होने से पूर्व
एक स्ट्रीट एक्ट के माध्यम से,
फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बिताने वाले एक ग़रीब बच्चे को प्रस्तुत करते हुए देखने का हमें भी मौका मिला है।
राह चल रहे शोर शराबें के बीच इन कलाकारों की आवाज़ भले ही दब जाएं, हमें यकीन है, जिन्होंने अपने दरवाज़े खोल रखे है उन तक ये आवाज़ अवश्य पहुँच जाती है।
अरविंद गौड़ जी, बहुत शुभकामनाएं।
एक सिंपल सी छवि देखकर कुछ कुछ होता है।
तो पहुँच ही जाती है।
बूंद बूंद से सागर भरता है।
इंडिया हैबिटैट सेंटर के एम्फी थिएटर के सामने, किसी बड़े शो के आरंभ होने से पूर्व
एक स्ट्रीट एक्ट के माध्यम से,
फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बिताने वाले एक ग़रीब बच्चे को प्रस्तुत करते हुए देखने का हमें भी मौका मिला है।
राह चल रहे शोर शराबें के बीच इन कलाकारों की आवाज़ भले ही दब जाएं, हमें यकीन है, जिन्होंने अपने दरवाज़े खोल रखे है उन तक ये आवाज़ अवश्य पहुँच जाती है।
अरविंद गौड़ जी, बहुत शुभकामनाएं।
एक सिंपल सी छवि देखकर कुछ कुछ होता है।
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